CARDS – The Organisation

Established in 2020 by retired civil servants, eminent academicians, legal professionals, and leading public personalities, Centre for Advanced Research and Development Studies (CARDS) is a Siwan, Bihar based think tank and research institute. This organization works for the empowerment of society through empirical research works and in-depth studies of contemporary challenges to our democracy, nation, and society.

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“भारत में उभरती लिंग संबंधी चिंताएँ” विषय पर परिचर्चा के साथ हुआ ‘राष्ट्रीय युवा संवाद’ का समापन

नवजीवन रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी धनबाद, ह्यूमन एम्पावरमेंट एंड डेवलपमेंट सोसाइटी वाराणसी, माय ड्रीम लाइफ फाउंडेशन जमशेदपुर एवं सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड डेवलपमेंट स्टडीज सिवान, बिहार के संयुक्त तत्वाधान में ‘राष्ट्रीय युवा संवाद’ (नेशनल यूथ डायलाग) के अंतिम सत्र का आयोजन रविवार को ऑनलाइन ज़ूम प्लेटफार्म पर किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल चर्चित अंबेडकरी आदिवासी लेखक-विचारक और महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कोलकाता स्थित क्षेत्रीय केंद्र के प्रभारी डॉ. सुनील कुमार सुमन ने कहा कि स्त्री-पुरुष में भौतिक आधार पर नहीं मानसिक आधार पर फ़र्क किया जाता है और वर्चस्व के लिए ये फर्क किया जाता है तो इसमें परिवर्तन करना होगा। स्वच्छ लोकतंत्र की स्थापना के लिए प्रश्न पूछने की संस्कृति का विकास जरुरी है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के सामाजिक बहिष्करण एवं समावेशी नीति अध्ययन केंद्र के सहायक निदेशक डॉ. अमरनाथ पासवान ने की। उन्होंने कहा कि देश में स्वतंत्रता, समानता, बंधुता एवं सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए युवाओं का सार्थक संवाद में हिस्सा लेना जरुरी है।

धनबाद की शिक्षिका प्रोतुषा मुखर्जी ने “लैंगिकता का युवा समाज पर प्रभाव” विषय पर अपनी बात रखी और बताया कि आज के समय में अगर महिलाओं की समस्या पर बात हो रही तो इसका मतलब है कि समाज में कुछ तो कमी है। दहेज जैसी चीज़ें आज भी महिलाओं को दबाने के लिए प्रयोग में आ रही हैं जिनमें परिवर्तन की आवश्यकता है।

पश्चिम बंगाल की शिक्षिका पूजा गौतम ने “वर्तमान परिदृश्य में लैंगिक संवेदनशीलता” विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि स्त्री-पुरुष दोनों एक समान है तो दोनों की अस्मिता और अधिकार भी समान हो। इसकी शुरुआत घर से, परिवार से, शिक्षा के माध्यम से करनी होगी। सिर्फ क़ानून एवं परोपकारी योजनाओं से महिलाओं की समस्या का समाधान नहीं हो सकता, इसके लिए मनोवृति में परिवर्तन जरुरी है।

कार्यक्रम का संचालन नवजीवन रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी, धनबाद के संयुक्त सचिव व धनबाद के शिक्षक मिथलेश दास, स्वागत भाषण एनआरडीएस धनबाद के सदस्य जितेंद्र देवगम, परिचय भाषण आरएसपी कॉलेज झरिया धनबाद के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रो. रामचंद्र कुमार, आशीर्वाद भाषण डॉ. तनवीर युनुस एवं धन्यवाद ज्ञापन एनआरडीएस धनबाद के तकनीकी सहायक अजय कुमार रवानी ने किया।

“भारत में उभरती लिंग संबंधी चिंताएँ” विषय पर परिचर्चा के साथ हुआ ‘राष्ट्रीय युवा संवाद’ का समापन

Online webinar on ‘Emerging Gender Concerns in India’. Date-01 November 2020

5th and valedictory session of online webinar series “National Youth Dialogue”. Theme- Emerging Gender Concerns in India. Date-01 Nov. 2020, Organised by Navjeevan Research and Development Society, Dhanbad in joint collaboration with Human Empowerment and Research Society, Varanasi, Centre for Advanced Research and Development Studies, Siwan, and My Dream Life Foundation, Jamshedpur.

भारत में पर्यावरण, पारिस्थितिकी और संस्कृति विषय पर राष्ट्रीय युवा संवाद के तृतीय सत्र का आयोजन, नई पत्र वार्ता (5 अक्टूबर, 2020)

भारत में पर्यावरण, पारिस्थितिकी और संस्कृति विषय पर राष्ट्रीय युवा संवाद के तृतीय सत्र का आयोजन, नई पत्र वार्ता (5 अक्टूबर, 2020)

पर्यावरण, पारिस्थितिकी एवं संस्कृति पर वेबिनार का हुआ आयोजन, फ्रीडम फाइटर (5 अक्टूबर 2020)

पर्यावरण, पारिस्थितिकी एवं संस्कृति पर वेबिनार का हुआ आयोजन, फ्रीडम फाइटर (5 अक्टूबर 2020)

Webinar Report of “4th session of online webinar series “National Youth Dialogue”

नवजीवन रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी धनबाद, ह्यूमन एम्पावरमेंट एंड डेवलपमेंट सोसाइटी वाराणसी, माय ड्रीम लाइफ फाउंडेशन जमशेदपुर एवं सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड डेवलपमेंट स्टडीज सिवान, बिहार के संयुक्त तत्वाधान में ‘राष्ट्रीय युवा संवाद’ (नेशनल यूथ डायलाग) के चतुर्थ सत्र का आयोजन रविवार को ऑनलाइन ज़ूम प्लेटफार्म पर किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप बॉलीवुड के जाने माने गीतकार डॉ. सागर थे जिन्होंने हाल ही में राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी भोजपुरी रैप “बम्बई में का बा” को कलमबद्ध किया है. डॉ. सागर ने अपने जीवन यात्रा के संघर्ष की बात की और ग्रामीण एवं पिछड़े प्रदेश में रहने वाले युवाओं को संगीत के दुनिया में अवसरों से परिचय कराया उन्होंने गीतों एवं संगीतों के व्यवसायीकरण को भोजपुरी एवं अन्य प्रांतीय भाषाओं के गीतों में अश्लीलता का प्रमुख कारण बताया एवं लेखकों एवं गीतकारों को मौलिक गीतों की रचना के लिए आगे आने का आह्वान किया.

पी.एम.सी.एच., धनबाद के प्रसिद्ध डाॅ. राजश्री भूषण ने “भारत में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा: मुद्दे, चुनौतियाँ एवं आगे का रास्ता” विषय पर अपनी बात रखी और बताया कि अगर आम जनता सरकारी हॉस्पिटल एवं स्वास्थ्य सेवा पर भरोसा नहीं जताती तो आने वाले समय में निजी अस्पतालों पर निर्भर होने के लिए आम जनता को तैयार रहना पड़ेगा. उन्होंने युवाओं को खुशहाल जीवन के लिए स्वस्थ रहें, मस्त रहें और व्यस्त रहें का मंत्र दिया.

एस.आर.एस.ए.टी.टी. कॉलेज, हजारीबाग की सहायक प्राध्यापिका श्यामली सलकर ने कहा कि युवाओं को प्रतिशोध के बदले परिवर्तनगामी सोच रखनी होगी क्योंकि आज का युवा स्वयं ही अपना पथप्रदर्शक है. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के विधि संकाय से एल.एल.एम. किये रंजीत पासवान ने समकालीन भारत में नागरिक संहिता की आवश्यकता विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि नागरिक संहिता लागू करना आसान नहीं है किन्तु भारत जैसे लोकतंत्र के लिए यह जरुरी है.

इस पूरे कार्यक्रम की अध्यक्षता बीबीएमकेयू, धनबाद के राजनीति विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ अमूल्य सुमन बेक ने की. उन्होंने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के कार्यक्रम समाज में जागरूकता लाने में महती भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को पढ़ने की प्रवृति को बढ़ाना होगा, अब लोगों का पुस्तकों से रिश्ता पहले सा नहीं रहा.

पूरे कार्यक्रम के मॉडरेटर धनबाद के शिक्षक व नवजीवन रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी, धनबाद के संयुक्त सचिव मिथलेश दास थे. संचालन दिल्ली के लेखक आलोक कुमार, स्वागत गीत आसनसोल की शिक्षिका अपूर्वा चौहान, स्वागत भाषण एनआरडीएस, धनबाद के सदस्य राजन कुमार, परिचय भाषण धनबाद की प्रशिक्षु शिक्षिका निशा मुखर्जी एवं धन्यवाद ज्ञापन एनआरडीएस धनबाद के सदस्य सतीश कुमार तथा तकनीकी सहयोग एनआरडीएस धनबाद के सदस्य अजय कुमार रवानी, जितेंद्र देवगन, श्रवण कुमार ने किया.

प्रांतीय भाषाओं के गीतों में बढ़ती अश्लीलता का कारण गीत-संगीत का व्यावसायीकरण व बाजारीकरण है: डॉ. सागर